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नई दिल्ली: पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा भारत पर व्यापार शुल्क लगाने के बावजूद भारतीय शेयर बाज़ार में कोई बड़ा संकट क्यों नहीं आया, यह एक ऐसा सवाल है जिस पर कई अर्थशास्त्रियों और निवेशकों ने विचार किया है। जबकि शुल्क निश्चित रूप से कुछ क्षेत्रों को प्रभावित करते हैं, भारतीय अर्थव्यवस्था और शेयर बाज़ार ने उल्लेखनीय लचीलापन दिखाया है। इसके पांच मुख्य कारण हैं:
* मजबूत घरेलू मांग: भारत की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से घरेलू मांग पर आधारित है। एक बड़ी और बढ़ती आबादी के साथ, भारत में वस्तुओं और सेवाओं की आंतरिक खपत मजबूत बनी हुई है। ट्रम्प के शुल्क मुख्य रूप से निर्यात-उन्मुख उद्योगों को लक्षित करते थे, लेकिन घरेलू खपत की ताकत ने समग्र आर्थिक विकास को सहारा दिया और शेयर बाज़ार को बड़े पैमाने पर गिरावट से बचाया।
* विविध निर्यात बाज़ार: जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका भारत के लिए एक महत्वपूर्ण व्यापार भागीदार है, यह एकमात्र नहीं है। भारत ने वर्षों से अपने निर्यात बाज़ारों में विविधता लाई है, जिसमें यूरोप, एशिया और अफ्रीका के अन्य देश शामिल हैं। इसलिए, अमेरिकी शुल्क का प्रभाव सीमित था क्योंकि भारतीय निर्यातक अन्य बाजारों में अपने उत्पादों को बेचने में सक्षम थे।
* सरकारी नीतियां और सुधार: भारतीय सरकार ने आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और निवेश को आकर्षित करने के लिए कई नीतियां और सुधार लागू किए हैं। इनमें बुनियादी ढांचे के विकास पर ध्यान केंद्रित करना, विनिर्माण को बढ़ावा देना (जैसे ‘मेक इन इंडिया’ पहल), और व्यापार करने में आसानी में सुधार करना शामिल है। इन प्रयासों ने निवेशकों का विश्वास बनाए रखने और शेयर बाज़ार को स्थिर रखने में मदद की।
* विदेशी मुद्रा भंडार: भारत के पास एक बड़ा और बढ़ता हुआ विदेशी मुद्रा भंडार है। यह बाहरी झटकों के खिलाफ एक महत्वपूर्ण बफर प्रदान करता है, जिसमें व्यापार शुल्क और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताएं शामिल हैं। मजबूत विदेशी मुद्रा भंडार ने रुपये को स्थिर करने और निवेशकों के बीच विश्वास बनाए रखने में मदद की।
* लचीली अर्थव्यवस्था: भारतीय अर्थव्यवस्था ने समय के साथ लचीलापन दिखाया है। यह विभिन्न वैश्विक आर्थिक संकटों से सफलतापूर्वक गुजरी है। इसकी विविध औद्योगिक संरचना और एक मजबूत सेवा क्षेत्र इसे बाहरी झटकों को बेहतर ढंग से झेलने में मदद करते हैं। निवेशकों ने भारतीय अर्थव्यवस्था की इस अंतर्निहित ताकत को पहचाना, जिससे ट्रम्प के शुल्कों के बावजूद शेयर बाज़ार में कोई बड़ा पतन नहीं हुआ।
संक्षेप में, भारतीय शेयर बाज़ार ट्रम्प के शुल्कों के बावजूद इसलिए नहीं क्रैश हुआ क्योंकि इसकी मजबूत घरेलू मांग, विविध निर्यात बाज़ार, सरकार की समर्थक विकास नीतियां, पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार और अर्थव्यवस्था का अंतर्निहित लचीलापन था। जबकि शुल्कों का कुछ क्षेत्रों पर प्रभाव पड़ा होगा, व्यापक आर्थिक कारक और अनुकूल नीतियां समग्र बाजार sentiment को बनाए रखने में कामयाब रहीं।
