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दुनिया इस सप्ताह: भारत-ब्रिटेन व्यापार समझौता, चीन का विशाल बांध और गाजा में बिगड़ते हालात

Source The Indian Express

नई दिल्ली/बीजिंग/गाजा: इस सप्ताह अंतरराष्ट्रीय मंच पर कई महत्वपूर्ण घटनाक्रम देखने को मिले। भारत और यूनाइटेड किंगडम के बीच ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर हस्ताक्षर हुए, जिसने दोनों देशों के बीच व्यापार को बढ़ावा देने का मार्ग प्रशस्त किया है। वहीं, चीन द्वारा तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर एक विशाल बांध के निर्माण से भारत और बांग्लादेश में नई चिंताएं पैदा हो गई हैं। इसके अलावा, गाजा पट्टी में इजरायली हवाई हमलों और गोलीबारी के बीच मानवीय संकट गहराता जा रहा है, जिससे स्थिति “टूटने के कगार पर” पहुंच गई है।

भारत-ब्रिटेन व्यापार समझौता: निर्यात को मिलेगी रफ्तार

भारत और यूनाइटेड किंगडम ने एक बहुप्रतीक्षित मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसे दोनों देशों के लिए ‘गेम चेंजर’ बताया जा रहा है। इस समझौते के तहत, ब्रिटेन लगभग 99% भारतीय उत्पादों और सेवाओं पर टैरिफ कम करेगा, जिससे भारतीय निर्यातकों को बड़ा फायदा मिलेगा। विशेष रूप से कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों, सिलेसिलाए कपड़ों, घरेलू वस्त्रों, कालीनों, हस्तशिल्प और इंजीनियरिंग उत्पादों के निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि की उम्मीद है। यह समझौता भारत के लिए 2030 तक $100 बिलियन के कृषि निर्यात लक्ष्य को प्राप्त करने में भी सहायक होगा। भारतीय उपभोक्ताओं को भी अब ब्रिटिश सॉफ्ट ड्रिंक, सौंदर्य प्रसाधन, कार और चिकित्सा उपकरण जैसे उत्पादों तक आसान पहुंच मिलेगी। इस डील को धैर्यपूर्ण कूटनीति और आपसी सम्मान का परिणाम बताया जा रहा है।

चीन का मेगा बांध: ब्रह्मपुत्र पर मंडराता खतरा

चीन ने तिब्बत में यारलुंग त्सांगपो नदी (जिसे भारत में ब्रह्मपुत्र के नाम से जाना जाता है) पर दुनिया के सबसे बड़े बांध का निर्माण शुरू कर दिया है। यह 167 अरब डॉलर की लागत वाली एक महत्वाकांक्षी परियोजना है, जिसका उद्देश्य भारी मात्रा में बिजली पैदा करना है। हालांकि, भारत और बांग्लादेश में इस बांध को लेकर गंभीर चिंताएं जताई जा रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह बांध ब्रह्मपुत्र के प्राकृतिक प्रवाह को प्रभावित कर सकता है, जिससे मानसून के दौरान असम और अरुणाचल प्रदेश में बाढ़ का खतरा बढ़ सकता है, जबकि सूखे के मौसम में पानी की कमी हो सकती है। यह किसानों और मछुआरों की आजीविका के लिए एक बड़ा खतरा बन सकता है। भारतीय रक्षा विशेषज्ञ इसे “जल बम” करार दे रहे हैं, जिसका उपयोग युद्ध या तनाव की स्थिति में रणनीतिक हथियार के रूप में किया जा सकता है।

गाजा में मानवीय संकट: भुखमरी और अराजकता चरम पर

गाजा पट्टी में इजरायल और हमास के बीच जारी संघर्ष ने मानवीय संकट को एक नए स्तर पर पहुंचा दिया है। इजरायली हवाई हमलों और गोलीबारी में लगातार नागरिकों की मौतें हो रही हैं, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। दीर अल-बलाह जैसे इलाकों में स्थिति बेहद गंभीर है, जहां मदद के लिए इंतजार कर रहे लोग भी हमलों का शिकार हो रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि गाजा में भुखमरी और अराजकता चरम पर है। राहत सामग्री की आपूर्ति बाधित होने और इजरायली सैन्य प्रतिबंधों के कारण मदद कार्य प्रभावित हो रहे हैं। गाजा के निवासी गंभीर कुपोषण और बीमारी का सामना कर रहे हैं, और कई लोगों की भूखमरी से मौतें हो रही हैं। अंतरराष्ट्रीय समुदाय गाजा में तत्काल युद्धविराम और मानवीय सहायता के लिए स्थायी पहुंच की मांग कर रहा है।

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