Source TOI
बीजिंग, 20 अगस्त 2025: चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने हाल ही में तिब्बत की राजधानी ल्हासा का एक दुर्लभ और अप्रत्याशित दौरा किया है, जिसमें उन्होंने क्षेत्र में राजनीतिक स्थिरता और धार्मिक सद्भाव बनाए रखने पर जोर दिया। यह यात्रा ऐसे समय में हुई है जब चीन-भारत सीमा पर तनाव के बीच तिब्बत का रणनीतिक महत्व बढ़ गया है।
इस दौरे को चीन की सरकार द्वारा बेहद गोपनीय रखा गया था और यह तब उजागर हुआ जब सोशल मीडिया पर तस्वीरें और वीडियो सामने आए। सरकारी मीडिया के अनुसार, शी जिनपिंग ने अपनी यात्रा के दौरान कई महत्वपूर्ण स्थानों का दौरा किया, जिसमें ल्हासा का पोताला पैलेस और अन्य धार्मिक और सांस्कृतिक स्थल शामिल हैं। उन्होंने ल्हासा में अधिकारियों और स्थानीय लोगों के साथ भी बातचीत की, जिसमें उन्होंने तिब्बत के विकास और सुरक्षा पर जोर दिया।
राष्ट्रपति शी ने अपने संबोधन में कहा कि तिब्बत को “नए युग में चीनी विशेषताओं के साथ समाजवाद” के लक्ष्यों को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है। उन्होंने धार्मिक मामलों को नियंत्रित करने और तिब्बती बौद्ध धर्म को चीनी संस्कृति के अनुरूप बनाने की आवश्यकता पर भी बल दिया। यह यात्रा 1990 के दशक के बाद से किसी चीनी राष्ट्रपति का तिब्बत का पहला दौरा है, जो इस क्षेत्र के प्रति बीजिंग की बढ़ती गंभीरता को दर्शाता है।
कई विश्लेषकों का मानना है कि यह दौरा न केवल चीन की आंतरिक स्थिरता की चिंताओं को दर्शाता है, बल्कि इसका उद्देश्य भारत को भी एक रणनीतिक संदेश देना है, क्योंकि तिब्बत की सीमा भारत के अरुणाचल प्रदेश से लगती है। शी जिनपिंग ने अरुणाचल प्रदेश की सीमा से लगे न्यिंगची शहर का भी दौरा किया, जहां उन्होंने हाल ही में शुरू की गई उच्च गति वाली बुलेट ट्रेन लाइन का निरीक्षण किया।
यह यात्रा चीन के लिए कई मायनों में महत्वपूर्ण है। यह एक तरफ तिब्बत में अपनी पकड़ को मजबूत करने का प्रयास है, वहीं दूसरी ओर यह भारत सहित अन्य देशों को तिब्बत पर चीन के संप्रभु दावे का एक स्पष्ट संकेत है। तिब्बत में चीन की नीतियां लंबे समय से मानवाधिकार संगठनों और तिब्बती लोगों द्वारा आलोचना का विषय रही हैं।
